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छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। विशेष रूप से बिहार और इसके आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मईया की आराधना का प्रतीक है। जिसमें लोग डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। 04 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान में व्रतधारी कठोर उपवास रखते हैं और परिवार की खुशहाली, संतान प्राप्ति एवं स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा के दौरान घाट पर कथा सुनने और सुनाने की परंपरा है। इसमें छठी मईया की महिमा और भक्तों के समर्पण की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।
छठ पूजा से संबंधित एक अत्यंत प्रचलित कहानी "आंजुर बहन" की है। इस कहानी के अनुसार एक परिवार में आंजुर नाम की एक नाजुक और प्यारी बहन थी, उसके पांच भाई थे। एक दिन वे सभी भाई कमाने के लिए दूर चले गए और अपनी बहन को अपनी पत्नियों के भरोसे छोड़ गए। भाईयों की गैरमौजूदगी में उसकी भाभियां उस पर अत्यधिक अत्याचार करती हैं, उसे भूखा रखती हैं और घरेलू कामों से उसे काफी परेशान करती हैं। धीरे धीरे समय बीतता गया और जब उसके भाई वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि उनकी बहन आंजुर बहुत कमजोर और पीड़ित है। उन्होंने जब अपनी बहन के दुखों के बारे में जाना तो उन्होंने अपनी पत्नियों को दंडित किया। इस कहानी के माध्यम से व्रती भगवान सूर्य और छठी मईया से प्रार्थना करते हैं कि वे संसार की सभी मां-बहनों की रक्षा करें और उन्हें शक्ति प्रदान करें।
एक अन्य लोकप्रिय कथा सास-बहू के संबंध की है। इसमें एक सास अपनी बहू को गन्ने के खेत में छठ पूजा के अवसर पर भेजती है। उसे एक घोंघे का माला और डंडा भी देती है ताकि वह खेत की रखवाली कर सके। जब बहू खेत में जाती है तो छठी मैया उसे वरदान स्वरूप भरपूर सोना प्रदान कर देती हैं। जब सास यह देखती है कि उसकी बहू को छठी मैया ने आशीर्वाद दिया है तो उसकी लालच जाग उठती है। वह स्वयं भी गन्ने के खेत में जाती है लेकिन उसका मन पवित्र नहीं रहता। छठी मैया उसकी लालच और बुरे स्वभाव को देखकर उसे अपने प्रकोप से दंडित करती हैं। सास के शरीर में चरक पड़ जाते हैं और उसे ढेरों कष्ट भी सहना पड़ता है। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि छठी मैया उन्हीं को आशीर्वाद देती हैं जिनका मन शुद्ध और पवित्र होता है।
छठ की कथा का विशेष महत्व है। क्योंकि, यह जीवन के सत्य और नैतिकता को उजागर करती है। इन कथाओं में दिखाया गया है कि छठी मईया भक्तों की भक्ति और समर्पण को देखकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं। व्रती इन कथाओं के माध्यम से अपने कष्टों को छठी मैया के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और उनसे उनकी समस्याओं का समाधान मांगते हैं।
छठ पूजा के दौरान घाट पर व्रती पहले संध्या अर्घ्य के समय छठी मईया की आधी कथा सुनाते हैं और फिर प्रातःकाल में शेष कथा सुनाई जाती है। इस दौरान परिवार और आस-पास के लोग कथा सुनते हैं और छठी मईया से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और छठ पूजा के पवित्र अनुष्ठान का महत्वपूर्ण अंग मानी जाती है। छठ की यह कथाएं हमें यह सिखाती है कि भगवान उन्हीं की सहायता करते हैं जो लोग सच्चे मन से उनकी उपासना करते हैं और दूसरों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखते हैं। छठी मईया की कथा श्रद्धालुओं को उनकी जीवन यात्रा में सहारा और मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।
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