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36 घंटे के उपवास के रूप में चलने वाला छठ पूजा का व्रत सबसे जटिल व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत खासतौर पर सूर्य देव और छठी मैया की उपासना और आराधना के लिए किया जाता है। छठ परिवार व परिजनों की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। अगर आप पहली बार छठ व्रत करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। दरअसल, इस व्रत के दौरान कड़ी नियम और अनुशासन का पालन किया जाता है वरना व्रत भंग भी हो सकता है। आइए जानें इन नियमों के बारे में।
छठ पूजा का व्रत अत्यधिक कठोर होता है और इसे पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करने पर ही इसका लाभ प्राप्त होता है। अगर आप पहली बार यह व्रत कर रहे/रहीं हैं तो नीचे दिए गए नियमों का ध्यान रखें ताकि आपका व्रत सफलतापूर्वक पूर्ण हो सके और आपकी मनोकामनाएं भी पूरी हो।
साफ-सफाई का रखें ध्यान:- छठ पूजा में साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। इसलिए अपने घर के साथ किचन और पूजा स्थल को भी साफ-सुथरा रखना बेहद जरूरी है।
नया चूल्हा और बर्तन:- छठ का प्रसाद पारंपरिक रूप से मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। यदि यह संभव ना हो तो गैस चूल्हे को अच्छे से धोकर या नए चूल्हे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रसाद के लिए नए बर्तनों का उपयोग करें। पर्व में पीतल, कांसे, मिट्टी इत्यादि के बर्तन का ही इस्तेमाल करें।
तामसिक भोजन से रहें दूर:- छठ पूजा के दौरान घर में लहसुन, प्याज, मांस और शराब का सेवन वर्जित होता है। छठ कर दौरान व्रतियों के साथ घर के अन्य सदस्यों को भी इनका सेवन नहीं बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
सात्विक भोजन ही करें:- नहाय-खाय के दिन से व्रती केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं। जिसमें प्याज और लहसुन तक का उपयोग नहीं होता।
संपूर्ण उपवास:- व्रत के दौरान 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दौरान ना सोडा और ना ही पानी ग्रहण किया जाता है।
बांस के सूप का करें उपयोग:- पूजा के दौरान बांस से बने सूप और टोकरी का विशेष महत्व होता है। इसमें पूजा सामग्री रखी जाती है।
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं एवं सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। इस भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं होता है। हालांकि, नहाय-खाय के दिन नमक का उपयोग किया जाता है और भोजन में चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल बनाया जाता है।
दूसरे दिन खरना होता है इसमें व्रती पूरे दिन का उपवास करते हैं और रात में सूर्यास्त के बाद मीठी गुड़ की खीर और रोटी ग्रहण करते हैं। इसके बाद से अगले 36 घंटे तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं।
खरना के अगले दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद उसकी अगली सुबह छठ व्रत का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। व्रती घाट पर जाकर सूर्य भगवान की आराधना करती हैं और अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रत का पारण होता है जिसमें व्रती अपना उपवास समाप्त करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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