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मैया री एक भाई दे दे दे दे, ना तो मैं मर जांगी,
मैया ओढ़ चुनरिया लाल, के बैठी कर सोलह श्रृंगार,
मैया ना भुलाना, हमको ना भुलाना,
मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो ।
मेरे तट पर जागे कबीर, मैं घाट भदैनी तुलसी की,
मैया मैं तेरी पतंग, हवा विच उडदी जावांगी,
मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन। आदत बुरी संवार लो, बस हो गया भजन॥
मैया कृपा करदो, झोली मेरी भरदो ।
मन के मंदिर में प्रभु को बसाना, बात हर एक के बस की नहीं है,
मन चल रे वृन्दावन धाम, राधे राधे गाएंगे,