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मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो (Maiya Mori Mai Nahi Makhan Khayo)

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो ।


भोर भयो गैयन के पाछे,

मधुवन मोहिं पठायो ।

चार पहर बंसीबट भटक्यो,

साँझ परे घर आयो ॥


मैं बालक बहिंयन को छोटो,

छींको किहि बिधि पायो ।

ग्वाल बाल सब बैर परे हैं,

बरबस मुख लपटायो ॥


तू जननी मन की अति भोरी,

इनके कहे पतिआयो ।

जिय तेरे कछु भेद उपजि है,

जानि परायो जायो ॥


यह लै अपनी लकुटि कमरिया,

बहुतहिं नाच नचायो ।

सूरदास तब बिहँसि जसोदा,

लै उर कंठ लगायो ॥

ये चमक ये दमक (Ye Chamak Ye Damak)

ये चमक ये दमक,
फूलवन मा महक,

प्राण त्यागने से पहले भीष्म ने क्या कहा था?

सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें अनेक शिक्षाएं निहित हैं। महाप्रतापी योद्धा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण वे अपनी इच्छा से प्राण त्याग सकते थे।

केलवा के पात पर(Kelwa Ke Paat Par)

केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके

राम नाम का जादू, दुनिया पे छा रहा है(Ram Naam Ka Jaadu Duniya Pe Cha Raha Hai)

राम नाम का जादू,
श्रीराम नाम का जादू,