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मैया ओढ़ चुनरिया लाल, के बैठी कर सोलह श्रृंगार (Maiya Odh Chunariyan Lal Ke Bethi Kar Solha Shingar)

मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


लाल चुनरियाँ चम चम चमके,

रोली को टीको दम दम दमके,

थारे हाथ मेहंदी लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


पगल्या री पायल छम छम छमके,

हाथां रो चुड़लो खन खन खनके,

थारे गल हीरा को हार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


खोल खजानो बैठी मेरी मईया,

जो चाहे सो मांग लो भईया,

म्हारी मईया लखदातार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥

श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् (Sri Devi Atharvashirsha)

देव्यथर्वशीर्षम् जिसे देवी अथर्वशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है, चण्डी पाठ से पहले पाठ किए जाने वाले छह महत्वपूर्ण स्तोत्र का हिस्सा है।

ब्रज की होली

होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

मेरे उज्जैन के महाकाल(Mere Ujjain Ke Mahakal )

तेरी होवे जय जयकार,
मेरे उज्जैन के महाकाल,

उज्जैन में विराजे, महाकाल प्यारे प्यारे (Ujjain Mein Viraje Mahakal Pyaare Pyaare)

उज्जैन में विराजे,
महाकाल प्यारे प्यारे,