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मैया ओढ़ चुनरिया लाल, के बैठी कर सोलह श्रृंगार (Maiya Odh Chunariyan Lal Ke Bethi Kar Solha Shingar)

मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


लाल चुनरियाँ चम चम चमके,

रोली को टीको दम दम दमके,

थारे हाथ मेहंदी लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


पगल्या री पायल छम छम छमके,

हाथां रो चुड़लो खन खन खनके,

थारे गल हीरा को हार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


खोल खजानो बैठी मेरी मईया,

जो चाहे सो मांग लो भईया,

म्हारी मईया लखदातार,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥


मैया ओढ़ चुनरिया लाल,

के बैठी कर सोलह श्रृंगार,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे,

बड़ी प्यारी लागे,

बड़ी सोणी लागे ॥

दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को क्या भोग लगाएं

हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत अत्यंत शुभ माना गया है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत के साथ उन्हें विशेष भोग अर्पित करने का विधान है।

विवाह पंचमी पर शादी क्यों नहीं होती ?

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मैया सदा मुझ पर, किरपा की नजर रखना (Maiya Sada Mujh Par Kirpa Ki Nazar Rakhna)

मैया सदा मुझ पर,
किरपा की नजर रखना,

मासिक शिवरात्रि की शुभ कथा

मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना गया है।