नवीनतम लेख

बेद की औषद खाइ कछु न करै माँ गंगा माहात्म्य (Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy)

माँ गंगा मैया का गरिमामय माहात्म्य ॥


बेद की औषद खाइ कछु न करै बहु संजम री सुनि मोसें ।

तो जलापान कियौ रसखानि सजीवन जानि लियो रस तेर्तृ ।

एरी सुघामई भागीरथी नित पथ्य अपथ्य बने तोहिं पोसे ।

आक धतूरो चाबत फिरे विष खात फिरै सिव तेऐ भरोसें ।

- सैयद रसखान


रिद्धी सिद्धी दातार, तुमसे गये देवता हार(Riddhi Siddhi Datar Tumse Gaye Devta Haar)

रिद्धी सिद्धी दातार,
तुमसे गये देवता हार,

रघुनन्दन राघव राम हरे (Raghunandan Raghav Ram Hare Dhun)

रघुनन्दन राघव राम हरे
सिया राम हरे सिया राम हरे ।

बाँके बिहारी की बाँसुरी बाँकी (Banke Bihari Ki Bansuri Banki)

बाँके बिहारी की बाँसुरी बाँकी,
पे सुदो करेजा में घाव करे री,

तुम राम के पुजारी, हो बाल ब्रम्हचारी(Tum Ram Ke Pujari Ho Bal Brahmachari)

तुम राम के पुजारी,
हो बाल ब्रम्हचारी,

यह भी जाने