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भोले नाथ का मैं बनजारा (Bholenath Ka Main Banjara)

भोले नाथ का मैं बनजारा,

छोड़ दिया मैंने जग सारा,

पता बता दो नील कंठ का,

पता बता दो नील कंठ का,

मैं जाऊ शिव धाम,

के मुझे कही नहीं जाना,

शिव का मैं हु सवाली,


भटक रहा हूँ जंगल जंगल,

छोड़ दिया है मैंने अनजल,

जब तक भोले नहीं मिलेगे,

करू नहीं आराम,

के मुझे कही नहीं जाना,

शिव का मैं हूँ सवाली,


शिव सेवक हूँ मैं मतवाला,

बाबा मेरा देव निराला,

ढुंडत ढुंडत शिवशंकर को,

ढुंडत ढुंडत शिवशंकर को,

सुबह से हो गई शाम,

के मुझे कही नहीं जाना,

शिव का मैं हूँ सवाली,


यो भी मिला है मुझे हाथ से,

काम करूँगा दोनों हाथ से,

पैरो की उपकार में उसका,

पैरो की उपकार में उसका,

मानूँगा आठो याम ,

के मुझे कही नहीं जाना,

शिव का मैं हूँ सवाली,


भोले नाथ का मैं बनजारा,

छोड़ दिया मैंने जग सारा,

पता बता दो नील कंठ का,

पता बता दो नील कंठ का,

मैं जाऊ शिव धाम,

के मुझे कही नहीं जाना,

शिव का मैं हु सवाली,

जिसने राग-द्वेष कामादिक(Meri Bawana - Jisne Raag Dwesh Jain Path)

जिसने राग-द्वेष कामादिक,
जीते सब जग जान लिया

गजानंद वन्दन करते है (Gajanand Vandan Karte Hain)

गजानंद वंदन करते है ॥
आज सभा में स्वागत है,

धारा तो बह रही है (Dhara Too Beh Rahi Hai)

धारा तो बह रही है,
श्री राधा नाम की,

विनायक चतुर्थी का व्रत कथा

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भक्त श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

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