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गणपति करते चरणों में हम है नमन (Ganpati Karte Charno Mein Hum Hai Naman)

गणपति करते चरणों में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन,

शिव गौरा के लाल को ध्याते है हम,

हे गणपति तुमको मनाते है हम,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


बड़ी सुन्दर निराली तुम्हारी छवि,

बोलेगी ये मूरत लगे है अभी,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


शीश सुन्दर मुकुट गणपति के सजा,

रूप ऐसा है भक्तो पे जादू करा,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


करे आरती वंदन करे हम भजन,

आपके नाम से ही लगा ली लगन,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


भोग मोदक का ही देवा भाये तुम्हे,

भक्त हाथों से अपने खिलाए तुम्हे,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


अपने भक्तो के देवा तुम कष्ट हरो,

विनती है सदा ही तुम किरपा करो,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥


गणपति करते चरणों में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन,

शिव गौरा के लाल को ध्याते है हम,

हे गणपति तुमको मनाते है हम,

गणपति करते चरणो में हम है नमन,

करे पूजा तुम्हारी सब हो के मगन ॥

महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की कृपा से मिलेगा मनचाहा दूल्हा

सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का शुभ अवसर माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।

रुक्मिणी अष्टमी की कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।

हरी नाम सुमिर सुखधाम, जगत में (Hari Nam Sumir Sukhdham Jagat Mein)

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