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गौंरी सुत गणराज गजानन, विघ्न हरण मंगल कारी (Gauri Sut Ganraj Gajanan Vighna Haran Mangal Kari)

गौरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

दुविधा मिट जावे सारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी ॥


प्रथम पूज्‍यनिय तू है बाबा तेरा,

सबसे पहले ध्यान किया,

बाधाओं से मुक्ति पाने,

तेरा ही आह्वान किया,

आओ सवारो काज हमारे,

बल बुद्धि के भंडारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


शिव शंकर के लाल पधारो,

आज हमारे कीर्तन में,

आकर पूरी कर देना प्रभु,

जो भी आशा है मन में,

तेरे स्वागत की कर ली है,

हमने सारी तैयारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


रिद्धि सिद्धि को भी संग में लाना,

गौरीपुत्र गणेश मेरे,

भर देना भंडार हमारे,

बिगड़े काम बने मेरे,

रखना हरी भरी प्रभु तुम हरदम ,

भक्तों की ये फुलवारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन ॥


गौरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

जो नर तुमको प्रथम मनावे,

दुविधा मिट जावे सारी,

गौंरी सुत गणराज गजानन,

विघ्न हरण मंगल कारी ॥

इस दिन देवता खेलते हैं होली

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दीवाली कलश पूजा (Diwali Kalash Puja)

सबसे पहले कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का एक पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।

सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को (Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko)

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,
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ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी (Jyeshth Maas Ki Shukla Paksh Ki Nirjala Ekaadashi)

एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।

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