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मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे (Main Radha Vallabh Ki, Radha Vallabh Mere)

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


तुम सदा सदा से मेरे, राधा वल्लभ मेरे

तुम सदा सदा से मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे राधा वल्लभ मेरे


हम भटक चुके बहुतेरे राधा वल्लभ मेरे

हम दुख पाए बहुतेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


अब रखिए अपने नेरे, राधा वल्लभ मेरे

हम सदा सदा से तेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद

जय जय राधावल्लभ श्री हरिवंश जय जय श्री वृन्दावन श्री वनचंद


मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

मैं राधा वल्लभ की, राधा वल्लभ मेरे

धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

हे जगवंदन गौरी नन्दन, नाथ गजानन आ जाओ (Hey Jag Vandan Gauri Nandan Nath Gajanan Aa Jao)

हे जगवंदन गौरी नन्दन,
नाथ गजानन आ जाओ,

प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना (Prabhu Humpe Daya Karna)

प्रभु हम पे कृपा करना,
प्रभु हम पे दया करना ।

अगहन को मार्गशीर्ष क्यों कहते हैं

मार्गशीर्ष मास धर्म, भक्ति और ज्योतिषीय महत्व से परिपूर्ण एक विशिष्ट मास माना जाता है। यह मास भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसे अत्यंत शुभ भी माना जाता है।

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