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बजरंगी महाराज, तुम्हे भक्त बुलाते है (Bajrangi Maharaj Tumhe Bhakt Bulate Hai)

बजरंगी महाराज,

तुम्हे भक्त बुलाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥


अज्ञान बालक है,

चरणों के पायक है,

तू ही सिरमौर है,

नादान बिलकुल है,

ये बात सच्ची है,

तेरे बिन नहीं और है,

बैठे ले उम्मीद,

तुमको आज रिझाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥


तुम वीर बलकारी,

शंकर के अवतारी,

अजब तेरी शान है,

तू राम का प्यारा,

तू श्याम का प्यारा,

बड़ा तू गुणवान है,

जल्दी आ जाओ,

तेरी ज्योत जलाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥


भक्ति का दाता है,

शक्ति का दाता है,

वीर बलधारी हो,

जो भी शरण आया,

खाली ना लौटाया,

बड़े उपकारी हो,

अभय दान दे दो,

यही आस लगाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥


दीनो के हितकारी,

अर्जी सुनो म्हारी,

प्रभु सिर हाथ धरो,

लेकर तुम्हारा नाम,

करते तुम्हे प्रणाम,

हमें भव पार करो,

‘जयराम’ बलिहारी,

तुम्हे भजन सुनाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥


बजरंगी महाराज,

तुम्हे भक्त बुलाते है,

तुम्हे शीश झुकाते है ॥

माता जानकी के जन्म से जुड़ी कथा

माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।

भूतनाथ अष्टकम्

शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्

होली रे होली बरसाने की होली (Holi Re Holi Barsane Ki Holi)

राधा कृष्ण ने मिल कर खेली बरसाने की होली,
संग किशन के ग्वाल सखा है सखियाँ राधा टोली,

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं (Gajmukham Dvibhujam Deva Lambodaram)

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥

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