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हमारे बालाजी महाराज, सभी के कष्ट मिटाते है (Hamare Balaji Maharaj Sabhi Ke Kast Mitate Hain)

हमारे बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥


घाटा मेहंदीपुर शुभ धाम,

सारे करते जाके प्रणाम,

यही है भक्तो के सरताज,

जो बालाजी कहलाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥


है जिनके प्रेतराज अगवान,

भैरव कोतवाल कप्तान,

पूरण करते सब के काज,

वीर का हुक्म बजाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥


चावल बुरा लगता भोग,

करते सवामणि सब लोग,

बजते ढोल शहनाई साज,

राम की महिमा गाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥


हो रही जग में जय जयकार,

मेला जुड़ता मंगलवार,

जिन पे शनिदेव को नाग,

अमावस धूम मचाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥


हमारे बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है,

पिलाते राम नाम की बूटी,

सभी को मस्त बनाते है,

हमारें बालाजी महाराज,

सभी के कष्ट मिटाते है ॥

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

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गौरा ने घोट कर,
पीस कर छान कर,

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