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हे गणपति हे गणराज, आपका अभिनन्दन (Hey Ganpati Hey Ganraj Aapka Abhinandan)

हे गणपति हे गणराज,

आपका अभिनन्दन,

मेरे घर में पधारे आज,

आपका अभिनन्दन,

हें गणपति हें गणराज,

आपका अभिनन्दन ॥


गजवदन विनायक देवा,

सुर नर मुनि करते सेवा,

सुर नर मुनि करते सेवा,

रखते भक्तो की लाज,

आपका अभिनन्दन,

हें गणपति हें गणराज,

आपका अभिनन्दन ॥


पहले पूजा करूँ तुम्हारी,

सह परिवार हूँ मैं आभारी,

सह परिवार हूँ मैं आभारी,

मेरे बिगड़े बनाना काज,

आपका अभिनन्दन,

हें गणपति हें गणराज,

आपका अभिनन्दन ॥


रिद्धि सिद्धि के दाता,

‘महावीर’ तेरे गुण गाता,

‘महावीर’ तेरे गुण गाता,

रज चरणों की दो महाराज,

आपका अभिनन्दन,

हें गणपति हें गणराज,

आपका अभिनन्दन ॥


हे गणपति हे गणराज,

आपका अभिनन्दन,

मेरे घर में पधारे आज,

आपका अभिनन्दन,

हें गणपति हें गणराज,

आपका अभिनन्दन ॥

नाग देवता वासुकी की पूजा किस विधि से करें?

सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संकटों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 विशेष रूप से चैत्र मास में मनाई जाती है और इस दिन गणपति बप्पा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

प्रबल प्रेम के पाले पड़ के (Prem Ke Pale Prabhu Ko Niyam Badalte Dekha)

प्रबल प्रेम के पाले पड़ के,
प्रभु का नियम बदलते देखा ।

षटतिला एकादशी के मंत्र

25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी का व्रत है। इस दिन तिल का काफी महत्व होता है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का छह तरीकों से प्रयोग किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में भी विशेष रूप से तिल का इस्तेमाल किया जाता है।

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