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हे शिव भोले भंडारी(Hey Shiv Bhole Bhandari)

हे शिव भोले भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥


बाघम्बर तेरे अंग पर सोहे,

हाथ में तिरशूल भारी,

भूत पिशाच नृत्य करे संग में,

नाचे दे दे ताली,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥


डम डम डमरू बजाए,

नंदी की सवारी,

विष को पीकर क्षण में शिव ने,

देवो की विपदा टारि,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥


उमा रमण शम्भू त्रिपुरारी,

भव भय भंजनहारी,

इस विरले दानी की महिमा,

गावे सब नर नारी,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥


‘दामोदर’ की विनती यही है,

काटो विपदा हमारी,

कष्ट मिटा जग के तुम कर दो,

घर घर में खुशयारी,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥


हे शिव भोले भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी,

हे शिव भोलें भंडारी,

मैं आया शरण तिहारी ॥

भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान कैसे मिला?

वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।

आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी (Aai Bhagon Me Bahar Jhula Jhule Radha Rani)

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी ।

हे गणनायक जय सुखदायक (Hey Gananayak Jai Sukhdayak)

हे गणनायक जय सुखदायक,
जय गणपति गणराज रे,

भोले ने जिसे चाहा, मस्ताना बना डाला (Bhole Ne Jise Chaha Mastana Bana Dala)

भोले ने जिसे चाहा,
मस्ताना बना डाला ॥

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