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जय हो, जय हो महाकाल राजा (Jai Ho Jai ho Mahakal Raja)

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।

हर तरफ तू ही तू है समाया,

धन्य तेरी है तेरी ही माया ।

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।


तुमने देवो को अमृत दिया है,

आपने खुद ही विष को पिया है ॥

देवताओं का मान बडाया,

सागरमंथन के विष से बचाया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥


वरदानी हो भोले कैलाशी,

डमरू वाले है काशी के वासी ॥

गले सर्पो का हार सजाया,

सर भभुति का टीका लगाया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥


भोले जिसने भी तुमको पुकारा,

तुमने उनको दिया है सहारा ॥

सारे भगतो का मान बड़ाया,

तेरे चरणो में शिवाजी आया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी (Hari Sir Dhare Mukut Khele Hori)

हरी सिर धरे मुकुट खेले होरी
कहाँ से आयो कुँवर कन्हैया

ललिता माता के 108 नाम

दस महाविद्याओं की साधना करना बहुत ही कठिन है लेकिन यदि साधना सफल हो जाती है तो होता है चमत्कार। दस महाविद्याओं में से एक है माता ललिता।

लाल लाल चुनरी सितारो वाली (Laal Laal Chunari Sitaron Wali)

लाल लाल चुनरी सितारों वाली,
सितारो वाली,

भोलेनाथ है वो मेरे, भोलेनाथ हैं (Bholenath Hai Vo Mere Bholenath Hai)

हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,

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