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कावड़ उठाले ध्यान, शिव का लगा ले (Kawad Utha Le Dhyan Shiv Ka Laga Le)

कावड़ उठाले ध्यान,

शिव का लगाले ॥


दोहा – शिव समान दाता नहीं,

विपत्ति निवारण हार,

लज्जा सब की राखियों,

शिव वर्धा के असवार ॥


कावड़ उठाले ध्यान,

शिव का लगा ले,

भर देंगे झोली भोले,

बिगड़ी बना ले,

हर हर महादेव,

हर हर महादेव ॥


सावन की देखो,

बरसे बदरिया,

लगन लगी भोले से,

रूके ना कांवडिया,

नमः शिवाय ओम,

नमः शिवाय,

हर हर महादेव,

हर कोई बोले बम बम,

के जयकारे,

भर देंगे झोली भोले,

बिगड़ी बना ले,

हर हर महादेव,

हर हर महादेव ॥


कोई लाये कावड़ भर के,

गंगा के जल से,

कोई लाए कावड़ भरके,

यमुना के जल से,

नमः शिवाय ओम,

नमः शिवाय,

हर हर महादेव,

मैं भी अपनी कावर लाया,

चंबल के जल से,

राम तेरी शरण में आया,

फरियाद सुन ले,

भर देंगे झोली भोले,

बिगड़ी बना ले,

हर हर महादेव,

हर हर महादेव ॥


कावड उठा ले ध्यान,

शिव का लगा ले,

भर देंगे झोली भोले,

बिगड़ी बना ले,

हर हर महादेव,

हर हर महादेव ॥

कुलदेवी की पूजा, जो करता है दिन रात (Kuldevi Ki Puja Jo Karta Hai Din Raat)

कुलदेवी की पूजा,
जो करता है दिन रात,

क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानें इस दिन का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

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