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मन बस गयो नन्द किशोर बसा लो वृन्दावन में(Man Bas Gayo Nand Kishor Basalo Vrindavan Mein)

मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


सौप दिया अब जीवन तोहे,

रखो जिस विधि रखना मोहे,

तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


चाकर बन कर सेवा करुँगी,

मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,

तेरे दरश करुँगी उठ भोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


अरज़ मेरी मंजूर ये करना,

वृन्दावन से दूर ना करना,

कहे मधुप हरी जी हाथ जोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥

तेरे दर पे ओ मेरी मईया(Tere Dar Pe O Meri Maiya)

तेरे दर पे ओ मेरी मईया,
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झाड़ो मोरछड़ी को लगवाले, हो जासी कल्याण: भजन (Jhado Morchadi Ko Lagwa Le Ho Jasi Kalyan)

झाड़ो मोरछड़ी को लगवाले,
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श्री लक्ष्मी चालीसा

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