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मन बस गयो नन्द किशोर बसा लो वृन्दावन में(Man Bas Gayo Nand Kishor Basalo Vrindavan Mein)

मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


सौप दिया अब जीवन तोहे,

रखो जिस विधि रखना मोहे,

तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


चाकर बन कर सेवा करुँगी,

मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,

तेरे दरश करुँगी उठ भोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


अरज़ मेरी मंजूर ये करना,

वृन्दावन से दूर ना करना,

कहे मधुप हरी जी हाथ जोड़,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥


मन बस गयो नन्द किशोर,

अब जाना नहीं कही और,

बसा लो वृन्दावन में,

बसा लो वृन्दावन में ॥

आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

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काल भैरव जयंती पर क्या दान करें?

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आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में (Adiyogi door us aakash ke gaharaiyon mein)

दूर उस आकाश की गहराइयों में,
एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,

चैत्र मासिक कृष्ण जन्माष्टमी

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, जो भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्मे थे।

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