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मन नो मोरलियो रटे(Man No Moraliyo Rate )

मन नो मोरलियो,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

एक वार आवी पुर,

हईया केरी हाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥


सूरज उगे ने म्हारी,

उगती रे आशा,

संध्या ढ़ले ने म्हने,

मढ़ती निराशा,

रात दिवस म्हने,

सूझे नहीं काम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

मन नो मोरलियों,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥


आँखड़लिये म्हने,

आंसू दिखाए से,

दर्शन बिन म्हारो,

दिलड़ो डुबाए से,

नहीं रे आवो तो वाला,

जासे म्हारा प्राण,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

मन नो मोरलियों,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥


एक वार वाला तारी,

झांकी जो थाए,

आँसुना बिंदुति,

धोऊं थारा पाए,

मांगू सदा थारा,

चरणों मा वास,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

मन नो मोरलियों,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥


रघुवीर राम ने,

बहु या छू,

दान शांति नु,

कर दो ने साचु,

सपनो साकार,

करो म्हारा राम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

मन नो मोरलियों,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥


मन नो मोरलियो,

रटे तारु नाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम,

एक वार आवी पुर,

हईया केरी हाम,

म्हारी झोपड़िये,

आवो म्हारा राम ॥

दिखाऊं कोनी लाड़लो, नजर लग जाए(Dikhao Koni Ladlo Najar Lag Jaaye)

दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,

प्रेम मुदित मन से कहो, राम राम राम (Prem Mudit Mann Se Kaho, Ram Ram Ram)

प्रेम मुदित मन से कहो,
राम राम राम ।

पापंकुशा एकादशी 2024: व्रत की विधि और तिथि, किसकी होती है पूजा

पापांकुशा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।

दुर्गा माता कथा

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चौत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है?

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