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मेरे शंकर भोले भाले, बेड़ा पार लगाते है(Mere Shankar Bhole Bhale Beda Paar Lagate Hai)

मेरे शंकर भोले भाले,

बेड़ा पार लगाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


सागर से निकला हलाहल,

देवों में मच गई हलचल,

सब देवता मिल के शिव के,

गुण गाने लगे वो हरपल,

शिव पीकर विष देवों के,

संकट को मिटाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


जब भक्त भगीरथ गंगा,

को धरती पर ले आए,

गंगा का वेग भयंकर,

इस धरती पर ना समाए,

गंगा को शिवजी अपनी,

जटाओं में समाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


ऋषियों ने गो हत्या का,

गौतम पे दोष लगाया,

जप तप कर ऋषि गौतम ने,

शिव जी को खूब मनाया,

गंगाजल से गौतम का,

शिव दोष मिटाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


देवों के संग दानव ने,

जब जब भी युद्ध मचाया,

सब देव जनो ने मिलकर,

शिव जी का ध्यान लगाया,

भोले भंडारी से सब,

वरदान पाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


मेरे शंकर भोले भाले,

बेड़ा पार लगाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥

श्री भैरव चालीसा (Shri Bhairav ​​Chalisa)

श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

नवरात्री वृत कथा (Navratri Vrat Katha)

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सफला एकादशी कौन से कपड़े पहनें

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