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नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा(Nakoda Ke Bhairav Tumko Aana Hoga)

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा ।

हम भक्तों को दरश दिखाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा ॥


तेरे दर पे भैरव मेरे, सब मिल आते हैं,

तेरे दर पे दादा मेरे, सब मिल आते हैं,

भक्ति के गीतों से तुमको रिझाते हैं,

झूम झूम तुमको भी गाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


मेरे इस जीवन मे भैरव, छाया अंधियारा हैं,

मेरे इस जीवन मे दादा, छाया अंधियारा हैं,

सारी दुनिया छोड़ के आए, तु ही सबसे प्यारा हैं,

जीवन से दुःख को हटाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

भवंरो में डोले नैय्या, मिलता ना किनारा हैं,

नैय्या को भव से पार लगाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,
पल पल मनवा बावरे,

जागो वंशीवारे ललना, जागो मोरे प्यारे (Jago Bansivare Lalna Jago More Pyare)

जागो वंशीवारे ललना,
जागो मोरे प्यारे ।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनती है

मकर संक्रांति का त्योहार आगामी 14 जनवरी को है। देश के कई हिस्सों में इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति संबंधित है।

सालासर वाले तुम्हें, आज हम मनाएंगे (Salasar Wale Tumhe Aaj Hum Manayenge)

सालासर वाले तुम्हें,
आज हम मनाएंगे,

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