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नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा(Nakoda Ke Bhairav Tumko Aana Hoga)

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा ।

हम भक्तों को दरश दिखाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा ॥


तेरे दर पे भैरव मेरे, सब मिल आते हैं,

तेरे दर पे दादा मेरे, सब मिल आते हैं,

भक्ति के गीतों से तुमको रिझाते हैं,

झूम झूम तुमको भी गाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


मेरे इस जीवन मे भैरव, छाया अंधियारा हैं,

मेरे इस जीवन मे दादा, छाया अंधियारा हैं,

सारी दुनिया छोड़ के आए, तु ही सबसे प्यारा हैं,

जीवन से दुःख को हटाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

सब भक्तों को मेरे दादा, तेरा ही सहारा हैं,

भवंरो में डोले नैय्या, मिलता ना किनारा हैं,

नैय्या को भव से पार लगाना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा,

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा,

डम डम डमरू बजाना होगा..


कन्हैया से नज़रे, मिला के तो देखो (Kanhaiya Se Najare Mila Ke To Dekho)

कन्हैया से नज़रे,
मिला के तो देखो,

बाबा तुम जो मिल गए - श्री श्याम (Baba Tum Jo Mil Gaye)

वो नाव कैसे चले
जिसका कोई खेवनहार ना हो,

बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं

बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।
बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।
बारिशों की छम छम में तेरे दर पे आए हैं।

ज्वारे और अखंड ज्योत की परंपरा

तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना ​​का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है I

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