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पूरब से जब सूरज निकले (Purab Se Jab Suraj Nikle)

पूरब से जब सूरज निकले,

सिंदूरी घन छाए,

पवन के पग में नुपुर बाजे,

मयूर मन मेरा गाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


पुष्प की माला थाल सजाऊं,

गंगाजल भर कलश मैं लाऊं,

नव ज्योति के दीप जलाऊं,

चरणों में नित शीश झुकाऊं,

भाव विभोर होके भक्ति में,

रोम रोम रम जाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


अभयंकर शंकर अविनाशी,

मैं तेरे दर्शन की अभिलाषी,

जन्मों की पूजा की प्यासी,

मुझपे करना कृपा जरा सी,

तेरे सिवा मेरे प्राणों को,

और कोई ना भाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


पूरब से जब सूरज निकले,

सिंदूरी घन छाए,

पवन के पग में नुपुर बाजे,

मयूर मन मेरा गाये,

मन मेरा गाये,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय ॥


नरसिंह द्वादशी व्रत विधि

नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।

भगत पुकारे आज मावड़ी(Bhagat Pukare Aaj Mawadi)

भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,

पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया - भजन (Paar Karenge Naiya Bhaj Krishna Kanhaiya)

पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया ।
पार करेंगे नैया भज कृष्ण कन्हैया ।

ऊँ शिव गोरक्ष योगी - प्रार्थना (Om Jai Gauraksh Yogi - Prarthana)

ऊँ शिव गोरक्ष योगी
गंगे हर-नर्मदे हर, जटाशङ़्करी हर ऊँ नमो पार्वती पतये हर,

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