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साथी हारे का तू, मुझको भी श्याम जीता दे(Sathi Hare Ka Tu Mujhko Bhi Shyam Jeeta De)

साथी हारे का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे,

मेरा ये नसीबा भी,

सोया है जगा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


दुनिया में घुमा मुझे,

मिली रुसवाई है,

अपनों से जख्म मिले,

आँख भर आई है,

सबको निभाते हो,

सबको निभाते हो,

मुझे भी निभा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


तुमसे छुपाऊं क्या मैं,

तुम्हे सब पता है,

हाथ जोड़ माफ़ी मांगू,

हुई जो खता है,

दयालु दया थोड़ी,

दयालु दया थोड़ी,

मुझपे भी लुटा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


हारे का सहारा है तू,

मैं भी एक हारा,

इतिहास कहता तुमने,

लाखों को उबारा,

‘मोहित’ मेरी भी,

‘मोहित’ मेरी भी,

किस्मत सजा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥


साथी हारे का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे,

मेरा ये नसीबा भी,

सोया है जगा दे,

साथी हारें का तू,

मुझको भी श्याम जीता दे ॥

दुर्गा अष्टमी क्यों मनाई जाती है

मासिक दुर्गा अष्टमी हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी साधक मां दुर्गा की पूरी श्रद्धा और लगन से व्रत करता है। मां उन सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

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जय जय राम

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