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शरण हनुमत की जो आया (Sharan Hanumat Ki Jo Aaya)

शरण हनुमत की जो आया,

उसे पल में संभाला है,

सामने आई जब बाधा,

अंजनीसुत ने टाला है,

शरण हनुमत की जों आया,

उसे पल में संभाला है ॥


निर्बल के बलवान कपि है,

सब देवों में महान कपि है,

मूढ़मति को देते है बुद्धि,

ज्ञान वान विद्वान कपि है,

दया का रूप हनुमत का,

जगत में सबसे निराला है,

सामने आई जब बाधा,

अंजनीसुत ने टाला है,

शरण हनुमत की जों आया,

उसे पल में संभाला है ॥


गीत कपि के जो है गाते,

श्रद्धा भाव है मन को भाते,

संकट में जो उन्हें पुकारे,

उसका सहारा बनके आते,

सभी का ध्यान जो रखता,

अंजनी माँ का लाला है,

सामने आई जब बाधा,

अंजनीसुत ने टाला है,

शरण हनुमत की जों आया,

उसे पल में संभाला है ॥


राम की भक्ति जो भी करता,

उसके हनुमत करता धर्ता,

कृपा से सब संताप है मिटते,

घर आँगन खुशियों से भरता,

गरीबों का सहारा एक,

कपि बजरंगी बाला है,

सामने आई जब बाधा,

अंजनीसुत ने टाला है,

शरण हनुमत की जों आया,

उसे पल में संभाला है ॥


शरण हनुमत की जो आया,

उसे पल में संभाला है,

सामने आई जब बाधा,

अंजनीसुत ने टाला है,

शरण हनुमत की जों आया,

उसे पल में संभाला है ॥


दर्शन की प्यासी नजरिया, मैया (Darshan Ki Pyasi Najariya Maiya)

दर्शन की प्यासी नजरिया,
मैया लीजे खबरिया ॥

विजया एकादशी व्रत नियम

विजया एकादशी के दिन व्रती जातकों को कुछ नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही इस दिन क्या करें और क्या करने से बचना चाहिए। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं।

सकट चौथ व्रत कथा

सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

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