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जगदम्बा के दीवानो को, दरश चाहिए (Jagdamba Ke Deewano Ko Daras Chahiye)

जगदम्बा के दीवानो को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए,

हमें माँ तेरी एक,

झलक चाहिए, झलक चाहिए ॥


दया और ममता का मंदिर है तू,

तुझे क्या पता कितनी सूंदर है तू,

गुलाबों के माँ जैसा मन है तेरा,

हमे माँ तेरे जैसा मन चाहिए,

जगदम्बा के दीवानों को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए ॥


तेरा रूप सबसे सुहाना लगे,

बिना भक्ति के जी कही ना लगे,

माँ भक्ति में तेरे हम डूबे रहे,

हमें ऐसा तुझसे माँ वर चाहिए,

जगदम्बा के दीवानों को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए ॥


कई दैत्य तुमने पछाड़े है माँ,

तेरा शेर रण में दहाड़े है माँ,

तू काली नवदुर्गा तू ज्वाला है माँ,

हमे माँ तेरी ही शरण चाहिए,

जगदम्बा के दीवानों को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए ॥


तू पर्वत तू नदियां तू धरती है माँ,

तू पाताल अम्बर सितारों में माँ,

तेरी इन भुजाओं में सृष्टि है माँ,

हमें इन भुजाओं का बल चाहिए,

जगदम्बा के दीवानों को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए ॥


जगदम्बा के दीवानो को,

दरश चाहिए, दरश चाहिए,

हमें माँ तेरी एक,

झलक चाहिए, झलक चाहिए ॥

नरसिंह द्वादशी व्रत विधि

नरसिंह द्वादशी सनातनियों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने प्रिय भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने रौद्र रूप में अवतार लिया था, जिन्हें लोग आज नरसिंह भगवान के रूप में पूजते हैं।

कुलदेवी की पूजा, जो करता है दिन रात (Kuldevi Ki Puja Jo Karta Hai Din Raat)

कुलदेवी की पूजा,
जो करता है दिन रात,

प्रथम गणराज को सुमिरूं, जो रिद्धि सिद्धि दाता है (Pratham Ganraj Ko Sumiru Jo Riddhi Siddhi Data Hai)

जो रिद्धि सिद्धि दाता है,
प्रथम गणराज को सुमिरूँ,

श्री शीतला माता जी की आरती(Shri Shitala Mata Ji Ki Aarti )

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥

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