नवीनतम लेख

शिव शंकर तुम्हरी जटाओ से, गंगा की धारा बहती है (Shiv Shankar Tumhari Jatao Se Ganga Ki Dhara Behti Hai)

शिव शंकर तुम्हरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है,

सारी श्रष्टि इसलिए तुम्हे,

गंगा धारी शिव कहती है,

शिव शंकर तुमरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है ॥


भागीरथ ने आव्हान किया,

गंगा को धरा पे लाना है,

अपने पुरखो को गंगाजल,

से भव से पार लगाना है,

गंगा का वेग प्रबल है बहुत,

मन में शंका ये रहती है,

शिव शंकर तुमरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है ॥


भागीरथ ने तप घोर किया,

तुम होके प्रसन्न दयाल हुए,

गंगा का वेग जटाओ में,

तुम धरने को तैयार हुए,

विष्णु चरणों निकली गंगा,

शिव जटा में जाके ठहरती है,

शिव शंकर तुमरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है ॥


शिव जटा से फिर निकली गंगा,

निर्मल धारा बन बहने लगी,

भागीरथ के पीछे पीछे,

गंगा माँ देखो चलने लगी,

फिर भागीरथ के पुरखो का,

कल्याण माँ गंगा करती है,

शिव शंकर तुमरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है ॥


शिव शंकर तुम्हरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है,

सारी श्रष्टि इसलिए तुम्हे,

गंगा धारी शिव कहती है,

शिव शंकर तुमरी जटाओ से,

गंगा की धारा बहती है ॥

किस विधि वंदन करू तिहारो(Kis Vidhi Vandan Karun Tiharo Aughardani)

किस विधि वंदन करू तिहारो,
औघड़दानी त्रिपुरारी

शिव मृत्युञ्जय स्तोत्रम् (Shiv Mrityunjaya Stotram)

रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।

श्री संतोषी माता चालीसा (Shri Santoshi Mata Chalisa)

श्री गणपति पद नाय सिर , धरि हिय शारदा ध्यान ।
सन्तोषी मां की करूँ , कीरति सकल बखान ।

श्रीराम और होली की कथा

होली का त्योहार सिर्फ द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका संबंध त्रेतायुग और भगवान श्रीराम से भी गहरा है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में भी होली मनाई जाती थी, लेकिन तब इसका रूप आज से थोड़ा अलग था। ये सिर्फ रंगों का खेल नहीं था, बल्कि सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व से जुड़ा हुआ एक अनोखा त्योहार था।