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शिवोहम शिवोहम शिवोहम.. (Shivoham Shivoham Shivoham)

आत्मा ने परमात्मा को लिया

देख ध्यान की दृष्टि से ।

प्रकाश हुआ हृदय-हृदय,

बेड़ा पार हुआ इस सृष्टि से ।


है एक ओंकार निरंजन निरंकार,

है अजर अमर आकर

विश्वधार मन भजे ।


शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..


भूख में तपसी तप रहा,

भोजन बीच पठाय ।

विलप में साधु हंस रहा,

अपना ही उपजा खाय ।

शेष अशेष विशेष में

समर्पण के भाव में ।


शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..


ठहर शांत एकांत में,

साधके मूलाधार ।

सर्जन स्वाधिष्ठान से,

सूर्य मणि चमकार ।

विशुद्धि आज्ञा सहसरार

तक गूंजे अनाहत ।


शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..


खाली को तो भर दिया,

भरे में भरा न जाए ।

पानी में प्यासा रहा,

तट पे बैठ लखाय ।

प्रष्न व्यस्न में उलझ-उलझ

हां बिरथा गया जन्म ।


शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..


शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

शिवोहम शिवोहम शिवोहम..

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है (Tum Utho Siya Singar Karo Shiv Dhanush Ram Ne Toda Hai)

तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

घनश्याम तुम ना आये, जीवन ये बीता जाये (Ghanshyam Tum Na Aaye Jeevan Ye Beeta Jaye)

घनश्याम तुम ना आये,
जीवन ये बीता जाये ॥

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

अम्बे अम्बे माँ अम्बे अम्बे,
अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे ॥

अप्रैल 2025 व्रत-त्योहार

अप्रैल का महीना वसंत ऋतु की सुंदरता और त्योहारों की धूमधाम के साथ एक विशेष महत्व रखता है। यह माह प्रकृति के रंग-बिरंगे रूप को दर्शाता है। इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।