मैया अम्बे मैया, लाल तेरा घबराये (Maiya Ambe Maiya Lal Tera Ghabraye)

मैया अम्बे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये ॥


मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये,

माँ लाल तेरा घबराये रो रो तुझे बुलाये,

राह निहारे सुबह शाम,

मैया अम्बे मैया मैया अम्बे मैया ॥


बिच भवर मैं मेरी नैया,

अटकी री माँ,

गम की लहरो में भटकी री माँ,

गम की लहरो में भटकी री माँ,

सूझे नहीं रस्ता कोई,

बन के खिवैया अब तू थाम,

मैया अंबे मैया मैया अंबे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये,

माँ लाल तेरा घबराये रो रो तुझे बुलाये,

राह निहारे सुबह शाम,

मैया अम्बे मैया मैया अम्बे मैया ॥


ऊँचा द्वारा तेरा ऊँची,

शान है माँ,

रखती बच्चो का सदा,

ध्यान तू माँ,

तुझसा नहीं जग में कोई,

संकट हरणी माँ है तेरा नाम,

मैया अंबे मैया मैया अंबे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये,

माँ लाल तेरा घबराये रो रो तुझे बुलाये,

राह निहारे सुबह शाम,

मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया ॥


विनती सुनलो आया ‘लख्खा’,

दर पे तेरे,

दूर करो मैया जी,

सब दुखड़े मेरे,

किस्मत ‘सरल’ जाये बदल,

सालों साल में आऊं तेरे धाम,

मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये,

माँ लाल तेरा घबराये रो रो तुझे बुलाये,

राह निहारे सुबह शाम,

मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया ॥


मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया,

लाल तेरा घबराये हर पल तुझे बुलाये,

माँ लाल तेरा घबराये रो रो तुझे बुलाये,

राह निहारे सुबह शाम,

मैया अंबे मैया मैया अम्बे मैया ॥

........................................................................................................
अगहन को मार्गशीर्ष क्यों कहते हैं

मार्गशीर्ष मास धर्म, भक्ति और ज्योतिषीय महत्व से परिपूर्ण एक विशिष्ट मास माना जाता है। यह मास भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और इसे अत्यंत शुभ भी माना जाता है।

होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

पहली बार गणगौर व्रत कैसे करें

गणगौर व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।

रथ सप्तमी व्रत के शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।