माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

माँ शारदे! हंसासिनी,

वागीश! वीणावादिनी । ..x2

मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

मुझको नवल उत्थान दो।


निष्काम हो मनोकामना,

मेरी सफल हो साधना । ..x2

नव गति, नई लय तान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


हो सत्य जीवन-सारथी,

तेरी करूँ नित आरती । ..x2

समृद्धि, सुख, सम्मान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,

मेरा महान चरित्र हो । ..x2

विद्या, विनय, बल दान दो । ..x2

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥


सौ वर्ष तक जीते रहें,

सुख-अमिय हम पीते रहें । ..x2

निज चरण में सुस्थान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


यह विश्व ही परिवार हो,

सबके लिए सम प्यार हो । ..x2

आदेश लक्ष्य महान दो । ..x2

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥


मुझको नवल उत्थान दो ।

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

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शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् (Shiv Dwadash Jyotirlinga Stotram)

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णतं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥1॥

तेरे मन में राम, तन में राम (Tere Mann Mein Ram Tan Mein Ram)

तेरे मन में राम,
तन में राम ॥

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