परदेस जा रहे हो, कैसे जियेंगे हम (Parades Ja Rahe Ho, Kaise Jiyenge Hum)

परदेस जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम,

कैसे जियेंगे हम कन्हैया,

कैसे जियेंगे हम,

दिल लेके जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम ॥


नैना बने हो आप ही,

काजल बने थे हम,

जब नैना ही बंद होंगे,

जब नैना ही बंद होंगे,

कैसे जियेंगे हम,

परदेस जा रहे हों,

कैसे जियेंगे हम ॥


मूरत बने थे आप ही,

मंदिर बने थे हम,

जब मंदिर ही बंद होंगे,

जब मंदिर ही बंद होंगे,

कैसे जियेंगे हम,

दिल लेके जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम ॥


चंदा बने थे आप ही,

चकवी बने थे हम,

जब चंदा ही ना रहा तो,

जब चंदा ही ना रहा तो,

कैसे जियेंगे हम,

दिल लेके जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम ॥


ऐसी क्या भूल हो गई,

मुझसे मेरे प्रीतम,

जब साँसे ना रही तो,

जब साँसे ना रही तो,

कैसे जियेंगे हम,

परदेस जा रहे हों,

कैसे जियेंगे हम ॥


कैसी है प्रीति तेरी,

कैसी सजा दिया है,

जब प्राण ना रहे तो,

जब प्राण ना रहे तो,

कैसे जियेंगे हम,

परदेस जा रहे हों,

कैसे जियेंगे हम ॥


परदेस जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम,

कैसे जियेंगे हम कन्हैया,

कैसे जियेंगे हम,

दिल लेके जा रहे हो,

कैसे जियेंगे हम ॥

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भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान कैसे मिला?

वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।

Radhe Radhe Japo Chale Aayenge Bihari (राधे जपो चले आएँगे बिहारी)

राधे राधे जपो चले आएँगे बिहारी,
राधे राधे रटो चले आएँगे बिहारी,

कभी राम बनके, कभी श्याम बनके (Kabhi Ram Banake Kabhi Shyam Banake)

कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥

क्या है शनि प्रदोष व्रत

सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए प्रदोष व्रत का काफ़ी खास माना गया है। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।

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