सुनो भवानी अरज हमारी, दया करो माँ कृपा करो माँ (Suno Bhawani Araj Hamari Daya Karo Maa Kripa Karo Maa)

सुनो भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


ये अपना जीवन तेरी अमानत,

तू ही है जननी तू ही है पालक,

तेरे चरण के है हम पुजारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


कहे तुम्हे सब दया का सागर,

लुटा दो ममता गले लगाकर,

भुला दो सारी खता हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


तेरे सिवा हम किसे पुकारे,

ये नैन केवल तुम्हे निहारे,

तुम्ही पे आशा टिकी हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


जो ‘सोनू’ कर दे तू एक इशारा,

संवर ही जाए जनम हमारा,

मिटा दो बाधा माँ जग की सारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


सुनो भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,

दया करो माँ कृपा करो मा ॥

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मेरी अखियाँ तरस रही, भोले का दीदार पाने को(Meri Akhiyan Taras Rahi Bhole Ka Didar Pane Ko)

मेरी अखियाँ तरस रही,
भोले का दीदार पाने को,

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

मेरा हाथ पकड़ ले रे, कान्हा (Mera Haath Pakad Le Re, Kanha)

मेरा हाथ पकड़ ले रे,
कान्हा दिल मेरा घबराये,

मासिक दुर्गाष्टमी उपाय

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, यह दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का होता है।

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