सुनो भवानी अरज हमारी, दया करो माँ कृपा करो माँ (Suno Bhawani Araj Hamari Daya Karo Maa Kripa Karo Maa)

सुनो भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


ये अपना जीवन तेरी अमानत,

तू ही है जननी तू ही है पालक,

तेरे चरण के है हम पुजारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


कहे तुम्हे सब दया का सागर,

लुटा दो ममता गले लगाकर,

भुला दो सारी खता हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


तेरे सिवा हम किसे पुकारे,

ये नैन केवल तुम्हे निहारे,

तुम्ही पे आशा टिकी हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


जो ‘सोनू’ कर दे तू एक इशारा,

संवर ही जाए जनम हमारा,

मिटा दो बाधा माँ जग की सारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

सुनों भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ ॥


सुनो भवानी अरज हमारी,

दया करो माँ कृपा करो माँ,

शरण में बैठे है माँ तुम्हारी,

दया करो माँ कृपा करो मा ॥

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इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे(Itni Vinti Hai Tumse Hai Bhole Mere)

इतनी विनती है तुमसे हे भोले मेरे,
थाम के हाथ अब ना छुड़ा लेना तुम,

ब्रज होली की पौराणिक कथा

होली का नाम सुनते ही हमारे मन में रंगों की खुशबू, उत्साह और व्यंजनों की खुशबू बस जाती है। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। हालांकि, होली से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म में भाद्रपद माह को सभी माह में विशेष माना जाता है। इस माह को भगवान कृष्ण के जन्म से जोड़ा गया है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कन्हैया का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

हे राम भक्त हनुमान तुझे, मैंने तो अब पहचान लिया(Hey Ram Bhakt Hanuman Tujhe Maine To Ab Pehchan liya)

हे राम भक्त हनुमान तुझे,
मैंने तो अब पहचान लिया,

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