तेरे द्वार पे आने वालो ने, क्या अजब नज़ारा देखा है (Tere Dawar Pe Aane Walon Ne Kya Ajab Nazara Dekha Hai)

तेरे द्वार पे आने वालो ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है,

हर और निराले जलवे हैं,

जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,

तेरे द्वार पे आने वालों ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है ॥


पत्थर को चीर चट्टानों से,

क्या सुन्दर गुफा बनाई है,

चरणों से निकली गंगधारा,

ये कैसी लीला रचाई है,

हर डाल डाल हर पत्ते में,

माँ नूर तुम्हारा देखा है,

तेरे द्वार पे आने वालों ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है ॥


दरबार में ध्यानु ने आकर,

सर काट के अपना चढ़ाया था,

माँ शक्ति आद्य भवानी ने,

फिर चमत्कार दिखलाया था,

ध्यानु के सर को जोड़ दिया,

उपकार तुम्हारा देखा है,

तेरे द्वार पे आने वालों ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है ॥


‘बलवीर’ कहे सुन जगदम्बे,

क्यों दर से मुझे भुलाया है,

‘आयोजिका’ कहे सुन जगदम्बे,

क्यों दर से मुझे भुलाया है,

एक बार करम अपना कर दो,

माँ दास तुम्हारा आया है,

मैं कैसे सबर करूँ दिल में,

दीदार तुम्हारा देखा है,

तेरे द्वार पे आने वालों ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है ॥


तेरे द्वार पे आने वालो ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है,

हर और निराले जलवे हैं,

जहाँ भवन तुम्हारा देखा है,

तेरे द्वार पे आने वालों ने,

क्या अजब नज़ारा देखा है ॥

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जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना (Jal Jaaye Jihwa Papini, Ram Ke Bina)

राम बिना नर ऐसे जैसे,
अश्व लगाम बिना ।

मुरख बन्दे, क्या है रे जग मे तेरा (Murakh Bande Kya Hai Re Jag Me Tera)

ओ मुरख बन्दे,
क्या है रे जग मे तेरा,

श्री प्रेतराज चालीसा (Shree Pretraj Chalisa)

गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।
प्रेतराज जी का लिखूं, चालीसा हरषाय।

रवि प्रदोष व्रत विशेष योग

देवाधिदेव महादेव के लिए ही प्रदोष व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन महादेव का पूजन किया जाए तो प्रभु प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही उनके सभी कष्टों का भी निवारण कर देते हैं।

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