किस दिन रखा जाएगा माघ माह का प्रदोष व्रत?

Magh Pradosh Vrat 2025: माघ माह का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व 


जनवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार, 27 जनवरी को मनाया जाएगा। माघ मास में आने वाला यह पावन पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस बार का प्रदोष व्रत अनेक शुभ योगों से युक्त होने के कारण भक्तों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने वाला सिद्ध होगा। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं कि इस पावन अवसर पर भगवान शिव की पूजा का क्या महत्व है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।

माघ माह का प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा ?


इस बार माघ मास की चतुर्दशी बेहद खास होने जा रही है। 27 जनवरी को शाम 8 बजकर 35 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्त होकर चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी के बाद मध्यरात्रि में चतुर्दशी तिथि आने पर उस दिन शिवरात्रि का व्रत करना बेहद फलदायी होता है।
इस बार भी ऐसा ही संयोग बन रहा है। इसलिए जो लोग प्रदोष व्रत कर रहे हैं, उन्हें इस बार दो व्रतों का पुण्य एक साथ प्राप्त होगा। 

एक तो प्रदोष व्रत का और दूसरा शिवरात्रि का। माघ मास की इस शिवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसलिए इस चतुर्दशी और शिवरात्रि को महाशिवरात्रि जितना ही पवित्र माना जाता है। लेकिन जो लोग केवल चतुर्दशी का व्रत करना चाहते हैं, उनके लिए 28 जनवरी का दिन निर्धारित है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इस दिन को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।

प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? 


  • अमृत चौघड़िया - सुबह 7 बजकर 11 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट तक का समय अमृत चौघड़िया कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह समय सभी तरह के शुभ कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
  • शुभ चौघड़िया - इसके बाद, सुबह 9 बजकर 52 मिनट से 11 बजकर 13 मिनट तक का समय शुभ चौघड़िया कहलाता है। यह समय भी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  • लाभ चौघड़िया का प्रारंभ दोपहर 3:15 बजे होता है और इसका समापन शाम 4:35 बजे होता है। तत्पश्चात, अमृत चौघड़िया शाम 4:32 बजे से शुरू होकर शाम 5:56 बजे तक रहता है।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व क्या है? 


प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर, जो लोग नियमित रूप से प्रदोष व्रत करते हैं, उनका जीवन सुखी और शांतिपूर्ण होता है। भगवान शिव की पूजा से उनका आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। यह दिन विशेष रूप से उनके भक्तों के लिए शिव की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रभावी अवसर माना जाता है। प्रदोष व्रत और पूजा का एक बड़ा आध्यात्मिक लाभ यह है कि इससे व्यक्ति का मानसिक शुद्धिकरण होता है।  प्रदोष व्रत को विशेष रूप से "शिव प्रदोष" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा से उनकी शक्तियां और आशीर्वाद मिलते हैं। इसे विशेष रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि, और मानसिक शांति के लिए किया जाता है।

........................................................................................................
मेरी मैया चली, असुवन धारा बही(Meri Maiya Chali Ashuvan Dhara Bahi)

मेरी मैया चली,
असुवन धारा बही,

साथी हारे का तू, मुझको भी श्याम जीता दे(Sathi Hare Ka Tu Mujhko Bhi Shyam Jeeta De)

साथी हारे का तू,
मुझको भी श्याम जीता दे,

राम तुम बड़े दयालु हो (Ram Tum Bade Dayalu Ho)

राम तुम बड़े दयालु हो,
नाथ तुम बड़े दयालु हो,

लागी लगन शंकरा - शिव भजन (Laagi Lagan Shankara)

भोले बाबा तेरी क्या ही बात है,
भोले शंकरा तेरी क्या ही बात है,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने