म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश(Mhane Jambhoji Diyo Upadesh)

म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


मरूधर देश समराथल भूमि,

गुरूजी दियो उपदेश ।

पीपासर में प्रकट भया,

आय सुधारयो बागड देश ॥ १ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


बीदे ने विराट दिखायो पुल्हे जी ने पाताल ।

उन्नतीस नियम सुणाय गुरूजी पायो म्हाने अमृत पाहल ॥ २ ॥


सांगा राणा और नरेषां,

परच्यो महमद खान ।

लोदी सिकन्दर ऐसो परच्यो,

पढणी छोड दी कुरान ॥ ३ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


चिम्पी चोलो उणरे तन रो पडियो जांगलु मांय ।

चिम्पी चोले रा दरसण करस्यां न्हावाला बरसिंगाली जाय ॥ ४ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


मोखराम बंगांली वालो,

हरिचरणा लवलीन ।

दास जाण म्हापे किरपा कीज्यो,

भक्ति में होऊ प्रवीण ॥ ५ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥

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मुझे चरणों से लगाले, मेरे श्याम मुरली वाले(Mujhe Charno Se Lagale Mere Shyam Murli Wale)

मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले ।

धन जोबन और काया नगर की (Dhan Joban Aur Kaya Nagar Ki)

धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर ॥

षटतिला एकादशी में तुलसी का महत्व

हिंदू धर्म में पूरे साल में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से प्रत्येक को विशेष माना जाता है। उन्हीं में से एक षटतिला एकादशी है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी कहते हैं।

जनेऊ/उपनयन संस्कार पूजा विधि

जनेऊ संस्कार को उपनयन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का प्रतीक है।

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