म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश(Mhane Jambhoji Diyo Upadesh)

म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


मरूधर देश समराथल भूमि,

गुरूजी दियो उपदेश ।

पीपासर में प्रकट भया,

आय सुधारयो बागड देश ॥ १ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


बीदे ने विराट दिखायो पुल्हे जी ने पाताल ।

उन्नतीस नियम सुणाय गुरूजी पायो म्हाने अमृत पाहल ॥ २ ॥


सांगा राणा और नरेषां,

परच्यो महमद खान ।

लोदी सिकन्दर ऐसो परच्यो,

पढणी छोड दी कुरान ॥ ३ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


चिम्पी चोलो उणरे तन रो पडियो जांगलु मांय ।

चिम्पी चोले रा दरसण करस्यां न्हावाला बरसिंगाली जाय ॥ ४ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥


मोखराम बंगांली वालो,

हरिचरणा लवलीन ।

दास जाण म्हापे किरपा कीज्यो,

भक्ति में होऊ प्रवीण ॥ ५ ॥


म्हाने जाम्भोजी दीयो उपदेश,

भाग म्हारो जागियो ॥

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स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

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कभी तो मेरे घर आना, मोरी शारदा भवानी (Kabhi To Mere Ghar Aana Mori Sharda Bhawani)

कभी तो मेरे घर आना,
मोरी शारदा भवानी,

बड़े बलशाली है, बाबा बजरंग बली(Bade Balshali Hai Baba Bajrangbali)

जड़ से पहाड़ों को,
डाले उखाड़,

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