चैत्र में चंद्र दर्शन के मुहूर्त

Chandra Darshan 2025: चंद्र दर्शन का क्या है धार्मिक महत्व, जानें चैत्र माह शुभ तिथि और पूजा विधि



हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना कर चंद्र देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।



क्या है चंद्र दर्शन


चंद्र दर्शन अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन को कहते हैं, जो हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है। इसे मानसिक शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। चंद्र देवता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और ज्योतिषीय दोष दूर होते हैं। वैज्ञानिक रूप से इसकी किरणें शीतलता प्रदान करती हैं, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।



चंद्र दर्शन का धार्मिक महत्व


  • चंद्रमा को हिंदू धर्म में नौ ग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है।
  • चंद्र दर्शन करने से मन की शांति प्राप्त होती है और मानसिक संतुलन बना रहता है।
  • यह दिन भाग्यशाली और समृद्धि देने वाला माना जाता है।
  • चंद्र देवता की पूजा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।



चंद्र दर्शन का शुभ तिथि


चैत्र मास में चंद्र दर्शन का शुभ अवसर 30 मार्च 2025, रविवार को है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन का शुभ समय शाम 6:38 बजे से रात 7:45 बजे तक है। हिंदू धर्म में, अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन को चंद्र दर्शन कहा जाता है, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन चंद्र देव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, जो सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के दर्शन के साथ संपन्न होता है।



चंद्र दर्शन की पूजा विधि


  • शाम के समय चंद्र देवता की पूजा करें।
  • पूजा में जल, रोली, अक्षत, चंदन और फूल अर्पित करें।
  • चंद्र देव को दूध और चावल से अर्घ्य दें।
  • चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें: "ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात।।"
  • धूप-दीप जलाकर चंद्र देव की आरती करें।

........................................................................................................
अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।

उत्तपन्ना एकादशी 2024, पूजा विधि

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला उत्पन्ना एकादशी का पर्व भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना का विशेष दिन है।

आयेगा मेरा श्याम, लीले चढ़ करके (Aayega Mera Shyam. Lile Chadh Karke)

दिल से जयकारा बोलो,
संकट में कभी ना डोलो,

शक्ति दे मां शक्ति दे मां (Shakti De Maa Shakti De Maa)

पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं, कैसे आऊं मैं घर तेरे।
शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।