जय जय शिव ओंकारा, हर हर शिव ओंकारा (Jay Jay Shiv Omkara Har Har Shiv Omkara)

ओम जय शिव ओंकारा,

हर हर शिव ओंकारा,

गंगा जटा समाए आपके,

जिसने जग तारा ॥


जय भयहारक पातक तारक,

जय जय अविनाशी,

जय महेश जय आदिदेव,

जय जय कैलाशी,

कृपा आपकी से मिटता है,

मन का अंधियारा ॥


जय त्रिपुरारी जय मदहारी,

भक्तन हितकारी,

जय डमरुधर जय नागेश्वर,

भोले भंडारी,

मेरी बड़ी भूल को प्रभु ने,

पल में निस्तारा ॥


जो शिव को नाहीं समझे,

वह बड़ा है अज्ञानी,

पग पग पर वह ठोकर खाता,

ऐसा अभिमानी,

शिव कृपा से जगमग करता,

है यह जग सारा ॥


ओम जय शिव ओंकारा,

हर हर शिव ओंकारा,

गंगा जटा समाए आपके,

जिसने जग तारा ॥


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नर्मदा नदी की कथा

नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।

जो तू मिटाना चाहे, जीवन की तृष्णा (Jo Tu Mitana Chahe Jivan Ki Trishna)

जो तू मिटाना चाहे,
जीवन की तृष्णा,

फुलेरा दूज की कथा

फुलेरा दूज हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित होता है। इस दिन को उत्तरी राज्य खासकर ब्रज क्षेत्र में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

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