हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके (Har Ghadi Yaad Teri Aaye Sautan Banke)

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥


इक जमाना था बुलाने से चला आता था,

मुझको कण कण में तेरा चेहरा नजर आता था,

टूट गई मैं तेरे चेहरे का दर्पण बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,

हर घड़ी याद तेरी आये सोतन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥


शीशे जैसा मेरा दिल था जो तूने तोड़ दिया,

मुझको लगता है किसी और से दिल जोड़ लिया,

अब तो हर रात मुझे ढसती है नागिन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,

हर घड़ी याद तेरी आये सोतन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥


दर्द अब दिल का बढ़ाने से भला क्या होगा,

श्याम जो रूठा साथ छूटा अब कहाँ होगा,

श्याम ब्रिज वास करूँ फिरती हूँ बावरी बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके,

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥


हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,

मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥


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अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के यम-नियम

हर साल पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी होती है। हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

म्हारा उज्जैन का महाराजा ने, खम्मा रे खम्मा(Mhara Ujjain Ka Maharaja Ne Khamma Re Khamma)

म्हारा उज्जैन का महाराजा ने,
खम्मा रे खम्मा,

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

भानु सप्तमी का व्रत क्यों रखा जाता है

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