मंत्र जाप के नियम

मंत्र जाप करते समय कौन सा आसन लगाना चाहिए, क्या है इसका सही समय



हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धता का माध्यम माना जाता है। मंत्र जाप ना सिर्फ मानसिक शांति प्रदान करता है। बल्कि, यह ऊर्जा, सकारात्मकता और आध्यात्मिक प्रगति के लिए भी एक सशक्त साधन माना गया है। हालांकि, मंत्र जाप का सही लाभ प्राप्त करने के लिए इसके नियम और विधियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। आइए इस लेख में हम जानते हैं मंत्र जाप के प्रकार, इसके सही तरीके और इससे जुड़े यम और नियम।

क्या हैं मंत्र जाप के नियम? 


मंत्र जाप को प्रभावी बनाने के लिए कुछ यम और नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं। 

  1. शरीर और स्थान की शुद्धता:- मंत्र जाप से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद जाप के लिए एक शांत और एकांत स्थान चुनें। पहले के समय में लोग प्राकृतिक स्थानों जैसे नदी के किनारे, पेड़ के नीचे या वन में जाप करते थे। इससे प्रकृति की ऊर्जा प्राप्त होती थी। इस दौरान कुश के आसन पर बैठना श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि, कुश ऊष्मा का सुचालक होता है और मंत्र जाप से उत्पन्न ऊर्जा को साधक के शरीर में प्रवाहित करता है।
  2. आसन और मुद्रा:- जाप करते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। यह सुनिश्चित करता है कि प्राण ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में सही ढंग से प्रवाहित हो। अलग-अलग उंगलियों के संयोजन से जाप करना विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोगी है। जैसे मोक्ष के लिए अंगूठे और तर्जनी को मिलाकर जाप करें। मानसिक शांति के लिए अंगूठे और मध्यमा को मिलाकर। सिद्धि के लिए अंगूठे और अनामिका को मिलाकर और सर्व सिद्धि के लिए अंगूठे और कनिष्ठा उंगली को मिलाकर।
  3. मंत्रोच्चारण और गति:- मंत्र जाप का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध होना चाहिए। गलत उच्चारण से मंत्र का प्रभाव निष्क्रिय भी हो सकता है। इसलिए, मंत्र का जाप ना तो बहुत तेज और ना ही बहुत धीमे स्वर में होना चाहिए। 
  4. माला का उपयोग:- मंत्र जाप के लिए माला का उपयोग जरूर करें। सामान्य जाप के लिए तुलसी माला और कामना सिद्धि के लिए चंदन या रुद्राक्ष माला का उपयोग किया जाता है। माला में 108 मोतियां होती हैं। प्रत्येक मोती पर मंत्र का जाप करें। माला को हाथ में लेकर संख्या गिनने के बजाय मंत्र पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
  5. समय और दिशा:- मंत्र जाप का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) माना गया है। सुबह के समय पूर्व दिशा और शाम के समय पश्चिम दिशा की ओर मुख करके मंत्र का जाप करने से इसका अत्यधिक लाभ मिलता है।
  6. जाप की संख्या:- मंत्र जाप का प्रभाव महसूस करने के लिए कम से कम एक माला यानी 108 बार मंत्र का जाप अवश्य करें। नियमित रूप से मंत्र जाप करना अधिक प्रभावकारी होता है।

मंत्र और उनके प्रकार


शास्त्रों के अनुसार मंत्र तीन प्रकार के होते हैं। 
वैदिक मंत्र: ये वेदों से लिए गए मंत्र होते हैं। जैसे - गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र। ये मंत्र प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों द्वारा उच्चारित किए जाते रहे हैं और इनका महत्व आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठानों में सबसे अधिक है।
तांत्रिक मंत्र: इन मंत्रों का प्रयोग विशेष साधनाओं और तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। इनका उद्देश्य साधक को विशिष्ट सिद्धियों और आत्मिक शक्तियों की प्राप्ति कराना होता है।
शाबर मंत्र: शाबर मंत्र साधारण लोगों के लिए भी आसान होते हैं और ये सीधे-सरल भाषा में होते हैं। इन्हें विशेष रूप से समस्याओं को हल करने और बाधाओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।

मंत्र जाप के फायदे


  1. मानसिक शांति: मंत्र जाप से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  2. आध्यात्मिक प्रगति: यह आत्मा और ब्रह्मांड के साथ एकता का अनुभव कराता है।
  3. ऊर्जा का संचार: मंत्र जाप से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  4. चिकित्सीय लाभ: नियमित जाप से मस्तिष्क की अल्फा तरंगें सक्रिय होती हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।

आत्मिक प्रगति का स्त्रोत है मंत्र


बता दें कि मंत्रों का जाप केवल धार्मिक या आध्यात्मिक साधना नहीं है। बल्कि, यह मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास का एक साधन है। लेकिन इसका सही लाभ तभी प्राप्त किया जा सकता है जब इसे विधिपूर्वक और शास्त्रीय नियमों का पालन करते हुए किया जाए। 

........................................................................................................
राम नाम की लूट है (Ram Naam Ki Loot Hai)

श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम

धारा तो बह रही है (Dhara Too Beh Rahi Hai)

धारा तो बह रही है,
श्री राधा नाम की,

Shri Baglamukhi Chalisa (श्री बगलामुखी चालीसा)

नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल।
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल।।

जब तें रामु ब्याहि घर आए(Jab Te Ram Bhayai Ghar Aaye)

श्री गुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने