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आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी (Aapne Apna Banaya Meharbani Aapki)

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी,

हम तो इस काबिल ही ना थे,

ये कदर दानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥


मैं तो तुम से हर तरह,

होकर अलग भागा रहा,

इस जहाँ के दौर मैं,

अटका रहा भटका रहा,

लगा लिया मुझको गले से,

ये रवानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥


कहाँ है तू और कहाँ हूँ मैं,

ये मिलना भी क्या हो सकता था,

कर कर गुनाह इस तमाश गाहे आलम मैं,

मैं भटका रहा,

बे-सबब हो गई ये रेहमतानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥


अब तो प्यारे आपके कदमों पे

सर को मैंने रख दिया,

हम इनायत हम नवाजिश,

इस करम का शुक्रिया,

तुम हमारे हम तुम्हारे,

ये जिंदगानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥


बरसो से उजड़ा पड़ा था,

मेरे दिल का ये चमन,

उजड़ी बगिया खिल उठी,

जब हो गया तेरा आगमन,

आप ने जो गुल खिलाया,

मेहरबानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥


आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी,

हम तो इस काबिल ही ना थे,

ये कदर दानी आपकी,

आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी॥

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा (Natvar Nagar Nanda Bhajo Re Mann Govinda)

नटवर नागर नंदा,
भजो रे मन गोविंदा,

अरे माखन की चोरी छोड़ साँवरे मैं समझाऊँ तोय (Are Makhan Ki Chori Chhod Sanvare Main Samjhau Toye)

अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,

मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का मुहूर्त

माघ मास में आने वाली अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन तीर्थराज प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में स्नान के लिए भारी संख्या में भक्त आते हैं।

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