नवीनतम लेख

बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


भूखें उठते है भूखे तो सोते नहीं,

दुःख आता है हमपे तो रोते नहीं,

दिन रात खबर ले रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,

उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,

फिर भी आवाज मेरी सुन रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


मेरा छोटा सा घर महलों की रानी माँ,

मेरी औकात क्या महारानी है माँ,

साथ ‘बनवारी’ माँ रह रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,

आंसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,

दिल से आवाज ये आ रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥


बिन पानी के नाव खे रही है,

माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा (Jaha Le Chaloge Vahi Me Chalunga)

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ।

छठ पूजा: पहिले पहिल, छठी मईया व्रत तोहार (Chhath Puja: Pahile Pahil Chhathi Maiya)

पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहार ।

बाबा मुझे दर्शन दें महाकाल (Baba Mujhe Darshan De Mahakal)

मैं आया उज्जैन महाकाल,
बाबा मुझे दर्शन दे,

महाकाल नाम जपिये, झूठा झमेला (Mahakal Naam Japiye Jutha Jhamela)

महाकाल नाम जपिये,
झूठा झमेला झूठा झमेला,

यह भी जाने