नवीनतम लेख

दिल की कुटिया, में मेरी आ जाओ(Dil Ki Kutiya Mein Meri Aa Jao)

श्याम दर्शन,

जरा दिखा जाओ,

दिल की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


मैंने कुटिया बहुत सजाई है,

मैंने कुटिया बहुत सजाई है,

खुशबु अपनी जरा लुटा जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


खातरी तेरी सांवरे होगी,

खातरी तेरी सांवरे होगी,

भाव दिल के जरा जगा जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


कुछ कहेंगे तो कुछ सुनेंगे तेरी,

कुछ कहेंगे तो कुछ सुनेंगे तेरी,

हमको मदहोश तो बना जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


दील की कुटिया में कुछ कमी तो नहीं,

दील की कुटिया में कुछ कमी तो नहीं,

गर कमी है कमी पूरा जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


दील की कुटिया करीब है तेरे,

दील की कुटिया करीब है तेरे,

तुम जरा सा करीब आ जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


‘नंदू’ हर हाल में तुम्हे चाहे,

‘नंदू’ हर हाल में तुम्हे चाहे,

प्रेम ऐसा प्रभु जगा जाओ,

दील की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥


श्याम दर्शन,

जरा दिखा जाओ,

दिल की कुटिया,

में मेरी आ जाओ ॥

राम आ गए, धन्य भाग्य शबरी हर्षाए(Ram Aa Gaye Dhanya Bhagya Sabari Harshaye)

राम आ गए,
धन्य भाग्य शबरी हर्षाए ॥

खोलो समाधी भोले शंकर, मुझे दरश दिखाओ(Kholo Samadhi Bhole Shankar Mujhe Darsh Dikhao)

खोलो समाधी भोले शंकर,
मुझे दरश दिखाओ,

हो सके जो अगर श्याम मेरे(Ho Sake Jo Agar Shyam Mere)

हो सके जो अगर श्याम मेरे
जो हुआ सो हुआ भूल जाओ,

बसंत पंचमी पर पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

बसंत पंचमी सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

यह भी जाने