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दिल में श्री राम बसे हैं, संग माता जानकी(Dil Mein Shree Ram Base Hai Sang Mata Janki)

दिल में श्री राम बसे हैं,

संग माता जानकी,

बैठा खड़ताल बजाए,

रघुवर के नाम की ॥


आठों पहर चौबीसों घंटे,

राम की महिमा गाए,

राम की महिमा गाए,

राम भजन की मस्ती में ये,

सुध सारी बिसराए,

सुध सारी बिसराए,

मणकों में राम नहीं वो,

माला किस काम की,

बैठा खड़ताल बजाए,

रघुवर के नाम की ॥


राम दीवाना राम प्रभु के,

अटके काज सँवारे,

अटके काज सँवारे,

संकट में ये दौड़ा आए,

सारे कष्ट निवारे,

सारे कष्ट निवारे,

सेवा में हाजिर रहता,

चौखट पे राम की,

बैठा खड़ताल बजाए,

रघुवर के नाम की ॥


राम लखन माँ सीता की जो,

जय जयकार लगाए,

जय जयकार लगाए,

‘हर्ष’ कहे वो वीर बलि की,

पल में किरपा पाए,

पल में किरपा पाए,

मिलके जयकार लगाओ,

अंजनी के लाल की,

बैठा खड़ताल बजाए,

रघुवर के नाम की ॥


दिल में श्री राम बसे हैं,

संग माता जानकी,

बैठा खड़ताल बजाए,

रघुवर के नाम की ॥

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।

हो दीनानाथ(Ho Deenanath)

सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ
हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार

गोवर्धन पूजा की कथा

गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम का उत्सव मनाता है। इस त्योहार के दौरान, एक पारंपरिक प्रथा है जिसमें गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।

मैं तो बन के दुल्हन आज सजी: भजन (Main To Banke Dulhan Aaj Saji)

श्यामा आन बसो वृंदावन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में,

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