नवीनतम लेख

गणपति मेरे अँगना पधारो (Ganpati Mere Angana Padharo)

गणपति मेरे अंगना पधारो,

आस तुमसे लगाए हुए है,

काज कर दो हमारे भी पुरे,

तेरे चरणों में हम तो खड़े है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


कितनी श्रद्धा से मंडप सजाया,

अपने घर में ये उत्सव मनाया,

सच्चे मन से ये दीपक जलाया,

भोग मोदक का तुमको लगाया,

रिद्धि सिद्धि को संग लेके आओ,

हाथ जोड़े ये विनती किए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


विघ्नहर्ता हो तुम दुःख हरते,

अपने भक्तो का मंगल हो करते,

हे चतुर्भुज हे सिद्धिविनायक,

उसकी सुखो से झोली हो भरते,

रहते शुभ लाभ संग में तुम्हारे,

हाथ पुस्तक मोदक लिए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


करते वंदन हे गौरी के लाला,

मेरे जीवन में करदो उजाला,

पिता भोले है गणपति तुम्हारे,

सभी देवों के तुम ही हो प्यारे,

इस ‘गिरी’ की भी सुध लेलो बप्पा,

काज कितनो के तुमने किए है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥


गणपति मेरे अंगना पधारो,

आस तुमसे लगाए हुए है,

काज कर दो हमारे भी पुरे,

तेरे चरणों में हम तो खड़े है,

गणपति मेरे अँगना पधारो ॥

रमतो भमतो जाय, आज माँ नो गरबो(Ramto Bhamto Jay Aaj Maa No Garbo)

रमतो भमतो जाय,
आज माँ नो गरबो रमतो जाय,

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

जो भजे हरि को सदा (Jo Bhaje Hari Ko Sada)

जो भजे हरि को सदा,
जो भजे हरि को सदा,

भक्तो के घर कभी आओ माँ (Bhakton Ke Ghar Kabhi Aao Ma)

भक्तो के घर कभी आओ माँ,
आओ माँ आओ माँ आओ माँ,

यह भी जाने