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हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे(He Govind He Gopal Ab To Jeevan Hare)

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे... हे गोविंद ॥


नीर पिवन हेतु गयो सिन्धू के किनारे,

सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


चार पहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे,

नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो द्वारे,

शंख चक्र गदा पद्म गरुड़ तजि सिधारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे,

अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

तिलकुट चौथ की पूजा सामग्री

सकट चौथ व्रत मुख्यतः संतान की लंबी उम्र, उनके अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की की कामना के लिए रखा जाता है। इस पर्व को गौरी पुत्र भगवान गणेश और माता सकट को समर्पित किया गया है। इसे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे:- तिलकुट चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ।

मां खजाने बैठी खोल के(Maa Khajane Baithi Khol Ke)

शेरावाली माँ खजाने बैठी खोल के,
जोतावाली माँ खजाने बैठी खोल के,

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

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