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हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे(He Govind He Gopal Ab To Jeevan Hare)

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।

अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे... हे गोविंद ॥


नीर पिवन हेतु गयो सिन्धू के किनारे,

सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


चार पहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे,

नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो द्वारे,

शंख चक्र गदा पद्म गरुड़ तजि सिधारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥


सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे,

अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे,

हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

नौरता की रात मैया, गरबे रमवा आणो है (Norta ki Raat Maiya Garba Rambwa Aano Hai)

नौरता की रात मैया,
गरबे रमवा आणो है,

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया (Dard Kisako Dikhaun Kanaiya)

दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है,

मोहे लागी लगन गुरु चरणन की(Mohe Lagi Lagan Guru Charanan Ki)

अखंड-मंडलाकारं
व्याप्तम येन चराचरम

जय बजरंगी बोले, वो कभी ना डोले (Jay Bajrangi Bole Vo Kabhi Na Dole)

बोले बोले रे जयकारा,
जो बाबा का बोले,

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