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हे महाशक्ति हे माँ अम्बे, तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है (Hey Mahashakti Hey Maa Ambey Tera Mandir Bada Hi Pyara Hai)

हे महाशक्ति हे माँ अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


सारी दुनिया एक बगिया है,

हम सब बगिया के फुल यहाँ,

इस बगिया की माँ है माली,

हर फुल ही माँ को प्यारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


कोई कष्ट नहीं उसको आता,

जो माँ का सुमिरण करता है,

साया बनकर उस प्राणी को,

माँ देती सदा सहारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


अपने भक्तो से दाती कभी,

पलभर भी दूर नहीं होती,

दौड़ी दौड़ी आती है माँ,

जिसने भी मन से पुकारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


अपने जीवन की डोरी को,

अब सौंप दो ‘शर्मा’ दाती को,

ना जाने कितनो को माँ ने,

भवसागर पार उतारा है,

हे महाशक्ति हे मां अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥


हे महाशक्ति हे माँ अम्बे,

तेरा मंदिर बड़ा ही प्यारा है ॥

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

क्यों रखते हैं रवि प्रदोष व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, फरवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। यह तिथि शुरुआत 9 फरवरी 2025, रविवार के दिन पड़ेगी और इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा।

किस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत

चंपा षष्ठी का पर्व भारत के प्राचीन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।

सरस्वती अमृतवाणी (Saraswati Amritwani)

सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,