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इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाये(Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)

इस योग्य हम कहाँ हैं

इस योग्य हम कहाँ हैं,

गुरुवर तुम्हें रिझायें ।

फिर भी मना रहे हैं,

शायद तु मान जाये ॥


जब से जनम लिया है,

विषयों ने हमको घेरा ।

छल और कपट ने डाला,

इस भोले मन पे डेरा ॥

सद्बुद्धि को अहं ने,

हरदम रखा दबाये ॥


निश्चय ही हम पतित हैं,

लोभी हैं लालची हैं ।

तेरा ध्यान जब लगायें,

माया पुकारती है ॥

सुख भोगने की इच्छा,

कभी तृप्त हो न पाये ॥


जग में जहाँ भी जायें,

बस एक ही चलन है ।

एक- दूसरे के सुख में,

खुद को बड़ी जलन है ॥

कर्मों का लेखा जोखा,

कोई समझ न पाये ॥


जब कुछ न कर सके तो,

तेरी शरण में आये ।

अपराध मानते हैं,

झेलते सब सजायें ॥

अब ज्ञान हम को दे दो,

कुछ और हम ना चाहें ॥

माँ के चरणों में ही तो, वो जन्नत होती है(Maa Ke Charno Mein Hi To Vo Jannat Hoti Hai)

जहाँ पे बिन मांगे,
पूरी हर मन्नत होती है,

राम भक्त लें चला रे, राम की निशानी (Ram Bhakt Le Chala Re Ram Ki Nishani)

राम भक्त ले चला रे,
राम की निशानी ॥

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