नवीनतम लेख

इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाये(Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)

इस योग्य हम कहाँ हैं

इस योग्य हम कहाँ हैं,

गुरुवर तुम्हें रिझायें ।

फिर भी मना रहे हैं,

शायद तु मान जाये ॥


जब से जनम लिया है,

विषयों ने हमको घेरा ।

छल और कपट ने डाला,

इस भोले मन पे डेरा ॥

सद्बुद्धि को अहं ने,

हरदम रखा दबाये ॥


निश्चय ही हम पतित हैं,

लोभी हैं लालची हैं ।

तेरा ध्यान जब लगायें,

माया पुकारती है ॥

सुख भोगने की इच्छा,

कभी तृप्त हो न पाये ॥


जग में जहाँ भी जायें,

बस एक ही चलन है ।

एक- दूसरे के सुख में,

खुद को बड़ी जलन है ॥

कर्मों का लेखा जोखा,

कोई समझ न पाये ॥


जब कुछ न कर सके तो,

तेरी शरण में आये ।

अपराध मानते हैं,

झेलते सब सजायें ॥

अब ज्ञान हम को दे दो,

कुछ और हम ना चाहें ॥

माई सबके बाल गोपाल, सदा खुशहाल रहे (Mai Sabke Bal Gopal Sada Khushal Rahe)

माई सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,
जल से स्नान कराऊँ,

मेरो लाला झूले पालना, नित होले झोटा दीजो (Mero Lala Jhule Palna Nit Hole Jhota Dijo)

मेरो लाला झूले पालना, नित होले झोटा दीजो
नित होले झोटा दीजो, नित होले झोटा दीजो

वैशाख कृष्ण बरूथिनी नाम एकादशी (Veshakh Krishn Barothini Naam Ekadashi)

भगवान् कृष्ण ने कहा- हे पाण्डुनन्दन ! अब मैं तुम्हें बरूथिनी एकादशी व्रत का माहात्म्य सुनाता हूँ सुनिये।

यह भी जाने