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जय गणेश गणनाथ दयानिधि (Jai Ganesh Gananath Dayanidhi)

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥


जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।


प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,

तिसके पूरण कारज सारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।


लंबोदर गजवदन मनोहर,

कर त्रिशूल परशू वर धारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।


ऋद्धि सिद्धि दोऊ चमर ढुलावे,

मूषक वाहन परम सुखारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।


ब्रहादिक सुर ध्यावत मन में,

ऋषि मुनिगण सब दास तुम्हारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।


ब्रह्मानंद सहाय करो नित

भक्तजनो के तुम रखवारे,

जय गणेश गणनाथ दयानिधि,

सकल विघन कर दूर हमारे ।

मां की हर बात निराली है(Maa Ki Har Baat Nirali Hai)

माँ की हर बात निराली है
श्लोक – पास की सुनती है,

मैया आरासुरी करजो आशा पूरी (Maiya Aarasuri Kar Jo Aasha Puri)

मैया आरासुरी करजो आशा पूरी म्हारी अम्बे,
हूँ तो विनती करूँ जगदम्बे,

छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ(Mhara Kirtan Mein Ras Barsao)

म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥

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