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मेरो मन राम ही राम रटे रे (Mero Maan Ram Hi Ram Rate Re)

मेरो मन राम ही राम रटे रे,

राम ही राम रटे रे ॥


राम नाम जप लीजे प्राणी,

कोटिक पाप कटे रे,

राम नाम जप लीजे प्राणी,

कोटिक पाप कटे रे,

जनम जनम के खत जो पुराने,

जनम जनम के खत जो पुराने,

नाम ही लेत फटे रे,

मेरो मन राम ही राम रटें रे,

राम ही राम रटे रे ॥


कनक कटोरे अमृत भरियो,

पीवत कौन नटे रे,

कनक कटोरे अमृत भरियो,

पीवत कौन नटे रे,

मीरा कहे प्रभु हरि अविनाशी,

मीरा कहे प्रभु हरि अविनाशी,

तन मन ताही फटे रे,

मेरो मन राम ही राम रटें रे,

राम ही राम रटे रे ॥


मेरो मन राम ही राम रटे रे,

राम ही राम रटे रे ॥

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

शनिदेव की पूजा कैसे करें?

हिंदू धर्म में शनिदेव को कर्मफलदाता कहा जाता है। इनके पास व्यक्ति के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रहता है और उसी के हिसाब से व्यक्ति को शुभ और अशुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शनिदोष से छुटकारा मिल जाता है और जीवन में चल रही सभी परेशानियां भी दूर हो जाती है।

मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन - भजन (Main Nahi Mera Nahi Ye Tan)

मैं कितना अधम हूँ,
ये तुम ही जानो,

मुझे तूने मालिक, बहुत कुछ दिया है (Mujhe Tune Malik Bahut Kuch Diya Hai)

मुझे तूने मालिक,
बहुत कुछ दिया है ।