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बनवारी ओ कृष्ण मुरारी (Banwari O Krishna Murari)

बनवारी ओ कृष्ण मुरारी,

बता कुण मारी,

पूछे यशोदा मात रे,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


भेजो थे लाला तने गाय चरावन,

रोवतड़ो क्यू घर आयो,

किने से तू झगडो कर लीनो,

माटी में क्यू भर आयो,

कुण तने मारी नाम बतादे,

मैया जड़ पूछकारे,

कानो रोवे दरद घणो होवे,

जद मैया फेरे हाथ रे,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


बैठयो थो मैया मैं कदम के नीचे,

बोली गुज़रिया बंसी बजा,

नाट गयो मैं तो नाही बजाऊं,

छीन म्हारी बंसी दिनी बगाड़,

आज गुज़रिया मारी म्हणे,

सारी ही हिलमिल कर,

बंसी तोड़ी कलाई भी मरोड़ी,

और मारी म्हणे लात की,

मैया कोई ना सुनी म्हारी बात भी,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


सुनकर के बाता मैया कान कुंवर की,

म्हारो हिवड़ो भर आयो,

माटी झाड़ी सारे बदन की,

और हिवडे से लिपटायो,

भोलो ढालो कछु नही जाने,

मेरो यो गोपालो,

गुज़री खोटी पकडूंगीं जाके चोटी,

मारूँगी बिने लात की,

ओ लाला कोई ना सुनी तेरी बात री,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


मैया रे बाता सुन सुन कर मोहन,

मन ही मन मुस्काने लगयो,

तारा चंद कहे ई छलिया को,

भेद कोई ना जान सक्यो,

ईरी माया योही जाने,

योही वेद पखाने,

पच पच हारा ऋषि मुनि सारा,

इ दिन और रात रे,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


बनवारी ओ कृष्ण मुरारी,

बता कुण मारी,

पूछे यशोदा मात रे,

ओ लाला कहो थारे मनड़े री बात रे ॥


सदाशिव सर्व वरदाता, दिगम्बर हो तो ऐसा हो (Sada Shiv Sarva Var Data Digamber Ho To Aisa Ho)

सदाशिव सर्व वरदाता,
दिगम्बर हो तो ऐसा हो ।

सोना-चांदी की पूजा विधि

हिंदू धर्म में सोने और चांदी की धातुओं का विशेष महत्व है। सदियों से ये भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। भारतीय संस्कृति में सोना-चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

Shri Batuk Bhairav Chalisa (श्री बटुक भैरव चालीसा)

श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥

भीष्म अष्टमी की कथा-महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने इच्छामृत्यु के वरदान के कारण तत्काल देह त्याग नहीं किया।

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