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नमामी राधे नमामी कृष्णम(Namami Radhe Namami Krishnam)

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


आदि शक्ति श्री राधे रानी,

जय जगजननी जय कल्याणी,

युगल मूर्ति श्री राधे कृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


सुर मुनि कितने स्वप्न संजोते,

योगी जप तप कर युग खोते,

तब जाकर इस युगल मूर्ति के,

बाल रूप में दर्शन होते;

बाल रूप में दर्शन होते,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥

ओ मईया तैने का ठानी मन में (O Maiya Tene Ka Thani Man Me)

ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दये री बन में,

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर (Bhole Ke Hatho Mein Hai Bhakto Ki Dor)

भोले के हाथों में,
है भक्तो की डोर,

क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी, जानें इस दिन का महत्व

हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

मुश्किल करे आसान जो, वो नाम तो हनुमान है (Mushkil Kare Aasan Jo Vo Naam To Hanuman Hai)

मुश्किल करे आसान जो,
वो नाम तो हनुमान है,

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