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जय जय देवा जय गणपति देवा (Jai Jai Deva Jai Ganpati Deva)

जय जय देवा जय गणपति देवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

मूषक आपकी सवारी है देवा,

माता है गौरी, पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


एक दन्त दयावन्त चार भुजाधारी,

लड्डुअन का भोग लगे मूसे की सवारी,

भोग लगता मोदक और मेवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


सबसे पहले होता है आपका पूजन,

गणपति बप्पा पुकारे सारे भक्तजन,

ऋषि मुनि संत भक्त करे सेवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

भक्ति और शक्ति के दाता, रामचरण से जिनका नाता (Bhakti Aur Shakti Ke Data Ram Charan Se Jinka Nata)

भक्ति और शक्ति के दाता,
रामचरण से जिनका नाता,

मैया री मैया एक खिलौना दिलवा दे (Maiya Ri Maiya Ek Khilona Dilwa De)

मैया री मैया एक खिलौना-
छोटा सा दिलवा दे

मैया जी घर आए (Maiya Ji Ghar Aaye)

मैया जी घर आए,
गौरी माँ, माँ शारदा,

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